अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति एलन मस्क की जिगरी दोस्ती अब दुश्मनी में बदलती जा रही ह

कभी थे जिगरी दोस्त, अब बन गए जानी दुश्मन... मस्क और ट्रंप के रिश्तों में आई कड़वाहट की असली वजह क्या है?

image (15)

मस्क बनाएंगे नई पार्टी यहीं नहीं, मस्क ने कहा कि अब नई पार्टी बनाने का वक्त आ गया है। जबकि मस्क के प्रमुख समर्थक इयान माइल्स चियोंग ने उनके एक्स पोस्ट का समर्थन किया और ट्रंप पर महाभियोग चलाने की अपील की। इस बीच, ट्रंप ने धमकी दी कि वह मस्क की कंपनियों के सारे अनुबंध और सब्सिडी खत्म कर देंगे। उन्होंने ट्रंप की स्पेसएक्स रॉकेट कंपनी और उनकी स्टारलिंक इंटरनेट सेवाओं को दिए जाने वाले सरकारी अनुबंधों को बंद करने की धमकी दी।

एलन मस्क को ट्रंप से पंगा पड़ सकता है महंगा

मस्क की एपस्टीन टिप्पणी दोस्त से दुश्मन बने लोगों के लिए कोई वापसी की गुंजाइश नहीं दिखा रही. ऐसे में, ट्रंप मस्क के कई बिजनेस को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. कल जब मस्क-ट्रंप ऑनलाइन विवाद बढ़ गया तो ट्रंप ने सोशल मीडिया पर मस्क को धमकी दी: “हमारे बजट, अरबों और अरबों डॉलर में पैसे बचाने का सबसे आसान तरीका एलन की सरकारी सब्सिडी और कॉन्टैक्ट्स को खत्म करना है.मुझे हमेशा आश्चर्य होता था कि बिडेन ने ऐसा क्यों नहीं किया!” ट्रंप ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. हालांकि,ट्रंप मस्क को इससे भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं, वो है उनके कई बिजनेस पर सरकारी कंट्रोल. चलिए आपको बताते हैं कैसे एलन मस्क को ट्रंप से पंगा महंगा पड़ सकता है.

डोनाल्ड ट्रम्प और इलॉन मस्क के बीच क्या हुआ, जो लड़ाई शुरू हो गई

भारतीय समयानुसार, 5 जून को रात 9.35 बजे वाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रम्प से पूछा गया कि मस्क ने आपके ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ यानी टैक्स और खर्च बिल की आलोचना की है ट्रम्प ने जवाब दिया, 'मैं चाहूंगा कि वे बिल की बजाय मेरी आलोचना करें, क्योंकि बिल शानदार है। उन्हें इस बिल के बारे में सब पता था। जब उन्हें पता चला कि हम इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी EV मैंडेट को खत्म करेंगे, तो उन्हें दिक्कत होने लगी। सरकार से अलग होते ही उनकी राय बदल गई। मैंने उनकी बहुत मदद की, मैं निराश हूं।’ ट्रम्प के इस बयान के आते ही रात 9.55 बजे मस्क ने सोशल मीडिया ‘X’ पर ट्वीट किया, 'यह झूठ है। मुझे यह बिल कभी नहीं दिखाया गया। इसे आधी रात में इतनी जल्दी पास किया गया कि किसी भी सांसद को इसे पढ़ने का मौका नहीं मिला।'