देश को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इसे नोडिफाइबल डिजीज (अधिसूचित रोग) के तौर पर घोषित करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए मंत्रालय की ओर से एक पत्र राज्य सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट को लिखा है। इस पत्र के जरिए राज्यों से उनके यहां मौजूद कुष्ठ रोगियों की सूचना मांगी है। साथ ही इसे नोडिफाइबल डिजीज घोषित करने पर विचार करने और अपने सुझाव भिजवाने के आदेश दिए हैं। पत्र में सचिव ने बताया- सरकार का उद्देश्य साल 2030 तक संक्रामक रोग और महामारी को समाप्त करना है। इसी लक्ष्य की दिशा में कुष्ठ रोग को भी खत्म करने का लक्ष्य है।
देनी होगी हर जिला सीएमएचओ को रिपोर्ट
साल 1983 में भारत में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 57 कुष्ठ रोगी के केस थे, जो साल 2024-25 तक घटकर प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक से भी कम हो गए हैं। लगातार प्रयासों का नतीजा है कि इस बीमारी में इतनी कमी देखी गई है। राज्य सरकार भी अगर कुष्ठ रोग को नोडिफाइबल डिजीज घोषित करती है। इस निर्णय के बाद राज्य के सभी सरकारी, निजी, ट्रस्ट या एनजीओ द्वारा संचालित हॉस्पिटल, हेल्थ सेक्टर से जुड़े इंस्टीट्यूट में आने वाले इन मरीजों की रिपोर्ट जिले के सीएमएचओ या जिला कुष्ठ रोग अधिकारी को देनी होगी।
इन राज्यों में पहले से नोडिफाइबल डिजीज घोषित
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पत्र में बताया- तमिलनाडु, ओडिशा और कर्नाटक ऐसे राज्य हैं, जहां की सरकारें इसे पहले से नोडिफाइबल डिजीज घोषित कर चुकी है। इन राज्यों में मिलने वाले हर एक केस (कुष्ठ रोगी) को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करके उसके ट्रीटमेंट और भविष्य में किसी अन्य व्यक्ति में ये बीमारी न फैले इसके रोकथाम पर तेजी से काम हो रहा है।