'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच तुर्की ने पाकिस्तान को समर्थन देकर अपना असली रंग दिखा दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, जंग के दौरान पाकिस्तान ने जिन हथियारों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था उनमें से अधिकतर की सप्लाई चीन और तुर्की से ही हुई थी. इनमें मिसाइलों से लेकर ड्रोन, टैंकर व नेवल शिप तक शामिल रहे. हालांकि, वह भारत ही है, जिसने मुसीबत के वक्त हमेशा तुर्की की मदद की है. आइए देखते हैं कि भारत ने एक सच्चे दोस्त की तरह किन-किन हालातों में तुर्की की मदद की है-
भारत ने 2023 में भूकंप के दौरान तुर्की की मदद की थी
साल 2023 में तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप में भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत तुर्की की खूब मदद की थी. दक्षिण-पूर्वी तुर्की (सीरियाई सीमा के पास) और मध्य तुर्की में एकिनोजू से चार किलोमीटर दूर 12 घंटे के अंतराल पर दो भूकंप आए. इनकी तीव्रता 7.8 मापी गई. इस प्राकृतिक आपदा से तुर्की को जान-माल का खूब नुकसान हुआ. उस दौरान भारत ने तुर्की में मेडिकल और रेस्क्यू टीम भेजकर उनकी मदद की थी. भारत ने 150 सदस्यीय तीन NDRF की टीमें, डॉक्टर्स की टीम, रिलीफ मैटीरियल और डॉग स्क्वॉयड्स भी भेजे. इससे मलबे में दबे लोगों को बचाने में मदद मिली. इसी के साथ भारतीय सेना के मौके पर बनाएग गए 30 बेडों के अस्पताल में घायलों का इलाज किया गया. भारत ने 99 सदस्यों की मेडिकल टीम के साथ ढेर सारी दवाइयां, टेंट, कंबल, खाने-पीने के सामान भी खूब भेजे. उस दौरान भारत में तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल ने भारत को तुर्की का 'सच्चा दोस्त' भी कहा था.
मरमरा भूकंप में भारत ने राहत और बचाव कार्यों के लिए टीमें भेजी थी
अगस्त 1999 में तुर्की के मरमरा सागर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इसके चलते 40 किलोमीटर इस्तांबुल में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया. इस दौरान लगभग 17,000 लोगों की मौत हुई थी. लाखों की संख्या में लोग बेघर हो गए थे. इसे तुर्की के इतिहास में सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक माना गया. उस दौरान भी भारत तुर्की के साथ खड़ा हुआ था. भारत की तरफ से तुर्की में भोजन, पानी, दवाइयां, चिकित्सा उपकरण जैसी राहत सामग्रियां भर-भरकर भेजी गईं. भारत ने राहत और बचाव कार्यों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें भी भेजी थी.
भारत ने कोरोना के समय में मदद की थी
साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में थी, उस दौरान भारत ने यथासंभव दुनिया के कई देशों की मदद की थी. इस कड़ी में तुर्की का भी नाम शामिल है. कोरोना से जूझ रहे तुर्की को पीपीई किट, वैक्सीन, वेंटिलेटर्स जैसी सुविधाएं मुहैया कराकर भारत ने तुर्की की भरपूर मदद की थी. इतना ही नहीं, अगस्त 2020 में इस भयावह महामारी से निपटने के लिए भारत ने तुर्की को 100 मिलियन डॉलर भी दिया था.
शीत युद्ध के दौरान
1970 के दशक में शीत युद्ध के दौरान भी भारत ने तुर्की की मदद की थी. उस दौरान तुर्की को आर्थिक और तकनीकि सहायता मुहैया कराकर भारत ने उसकी मदद की. इनमें कृषि से लेकर शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दिया गया अनुदान और कर्ज शामिल रहा.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान
1914-1918 में फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान तुर्की (तत्कालीन ऑटोमन साम्राज्य) ब्रिटिश और अन्य सहयोगी देशों से युद्ध लड़ रहा था. भारत उस दौरान ब्रिटिश उपनिवेश था, लेकिन भारतीय मुसलमानों ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की को विभाजित किए जाने के ब्रिटिश शासन के फैसले का विरोध करते हुए 1919-1922 के बीच खिलाफत आंदोलन चलाया था. इस आंदोलन में हिंदू समुदाय के लोग भी शामिल हुए थे. सभी ने मिलकर तुर्की को नुकसान पहुंचाने वाले ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया.
विश्व व्यापार संगठन में मदद
भारत ने ग्लोबल ट्रेड ब्लॉक और WTO में तुर्की को शामिल किए जाने की बात को अपना समर्थन दिया. इतना ही नहीं, यूरोपीय संघ में भी तुर्की को शामिल होने में भारत ने अपना समर्थन दिया.