राजस्थान: भरतपुर जिले के बयाना के गांव पीलूपुरा में रविवार को गुर्जर समाज की महापंचायत के बाद अचानक कुछ युवा आक्रोशित हो गए। रीट भर्ती 2018 के शेष 372 पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर युवाओं ने महापंचायत समाप्ति की घोषणा के बाद माइक हाथ में लिया। साथ ही महापंचायत में हुए निर्णय पर नाराजगी व्यक्त की। इसके साथ ही भीड़ ने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रेक की ओर कूच किया। जहां मथुरा-सवाईमाधोपुर पैंसेजर ट्रेन को रोक दिया। इससे ट्रैक बंद हो गया। युवाओं ने पटरियां उखाडऩे की कोशिश की। दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक दो घंटे बाधित रहा।
पीलूपुरा में हुई महापंचायत
पीलूपुरा स्थित शहीद स्मारक पर गुर्जर समाज की महापंचायत हुई। इसमें गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक विजय बैंसला ने राज्य सरकार की ओर से आया मसौदा पढ़कर सुनाया। साथ ही मसौदे पर सहमति व्यक्त करते हुए महापंचायत समाप्ति की घोषणा की। उनके वहां से निकलने के तुरंत बाद रीट भर्ती 2018 में शेष 372 पदों पर नियुक्ति की मांग कर रहे कुछ युवाओं ने फैसले का विरोध जताया और रेलवे ट्रैक की ओर से कूच कर दिया। उनके साथ भीड़ भी ट्रैक पर रवाना हो गई।
इन मांगों पर बनी सरकार से सहमति
एमबीसी आरक्षण : 5 प्रतिशत एमबीसी आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में जोडऩे के लिए राज्य कैबिनेट प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजेगा
मुकदमों का निस्तारण : 2023 में बनी सहमति के तहत आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को प्राथमिकता से निपटाया जाएगा। इसके लिए हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।-भर्तियों में विसंगतियां: लंबित भर्तियों में रोस्टर प्रणाली से जुड़ी समस्याओं पर मंत्रीगणों की समिति 60 दिन में समाधान देगी।
अनुकंपा नियुक्ति : शहीद रूप नारायण गुर्जर के एक परिजन को सरकारी सेवा में अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी। इस पर शीघ्र कार्रवाई होगी।
योजनाओं की निगरानी : देवनारायण योजना सहित सभी संबंधित योजनाओं की मासिक समीक्षा की जाएगी, इसमें संघर्ष समिति के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाएगा।
इसलिए भड़क गए युवा
विजय बैंसला के पीलूपुरा स्थित शहीद स्मारक से निकलने के तुरंत बाद रीट भर्ती 2018 में शेष 372 पदों पर नियुक्ति की मांग कर रहे कुछ युवाओं ने फैसले का विरोध जताया और रेलवे ट्रैक की ओर से कूच कर दिया। उनके साथ भीड़ भी ट्रैक पर रवाना हो गई। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर पहुंचकर ट्रैक से फिशप्लेट खोल दी। युवाओं का कहना था कि केवल आश्वासन से संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता और वे आंदोलन जारी रखने के पक्षधर हैं।